नई पुस्तकें >> जिन्दगी : जन्म, संघर्ष एवं संतुष्टि की दास्तान जिन्दगी : जन्म, संघर्ष एवं संतुष्टि की दास्तानसंजीव शाह
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हम स्वयं अपने साथ शायद ही संयमपूर्वक व्यवहार कर रहे होते हैं। अहंकारी न बन जाने के तनाव में जीनेवाले ऐसे अनेक लोगों को मैंने देखा है, जो सदैव अपनी कमियों को ही देखते रहते हैं, हर समय अपने आपको कोसते ही रहते हैं। जबकि दूसरे बहुत से लोग अपना बखान करने से ही बाज नहीं आते ! हमारा अपने-आपको आदर देना भी उतना ही जरूरी है, जितना जरूरी अपनी कमियों और दोषों को देखते रहना है।
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